हे ग्रंथालय हे ग्रंथालय तू मेरा सर्वस्य है
ज्ञान प्राप्ति के सब श्रोतो में, तेरी ही वर्चस्व है
तुम प्रकाश के महापुंज हो, सब ज्ञानो की खान हो
तम - हर कर प्रकाश भरने में सबसे शक्तिमान हो
जिसने तुमसे स्नेह बढाया, उनने दुनिया में सब पाया
नाम बनाया, ज्ञान बढाया मार्ग दिखाया
सब कुछ तुमसे ही है पाया, जिसने तुमसे राग लगाया
जो तुमको पहचान न पाया, दुनिया में कुछ सीख न पाया
शत -शत बार नमन है तुमको, शत -शत बार प्रणाम है
तुमसे मैंने सब कुछ पाया, तू गुरुदेव महान है
प्रभात सिंह राजपूत
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Thursday, April 15, 2010
Tuesday, April 6, 2010
Congratulations to Prof. Gautam
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