Thursday, April 15, 2010

हे ग्रंथालय हे ग्रंथालय तू मेरा सर्वस्य है
ज्ञान प्राप्ति के सब श्रोतो में, तेरी ही वर्चस्व है
तुम प्रकाश के महापुंज हो, सब ज्ञानो की खान हो
तम - हर कर प्रकाश भरने में सबसे शक्तिमान हो
जिसने तुमसे स्नेह बढाया, उनने दुनिया में सब पाया
नाम बनाया, ज्ञान बढाया मार्ग दिखाया
सब कुछ तुमसे ही है पाया, जिसने तुमसे राग लगाया
जो तुमको पहचान न पाया, दुनिया में कुछ सीख न पाया
शत -शत बार नमन है तुमको, शत -शत बार प्रणाम है
तुमसे मैंने सब कुछ पाया, तू गुरुदेव महान है

प्रभात सिंह राजपूत

3 comments:

LibraryBoy's2.0 said...

GM, sir Upender(B.L.I.Sc,DAVV)2010 Really it is very motivational.
Greeting with Respect

indubala said...

Goodmorning sir,
I have finaly decided dissertation On Comparative analysis of Digital Divide on DAVV(IMS)Campus & IIM Indore.
Sir Can you give some information on this topic.

P S RAJPUT said...

Thanks a lot